अधिगम के सिद्धान्त को कितने भागों बाटा गया है?

अधिगम के सिद्धान्त को कितने भागों बाटा गया है?

व्यवाहार में परिवर्तन ही अधिक कहलाता है अधिक को मुख्य रूप से दो भागों में बाटा गया है।
1- अधिगम के सम्बन्धवादी जिसे साहचर्य सिद्धान्त भी कहा जाता  है।
2- अधिगम का ज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धान्त

अधिगम के सिद्धान्त –

अधिक की अलग-अलग धारणा एवं प्रयोग के अनुसार मनोवैज्ञानिकों में मतभेद है। जो इस प्रकार समझा जा सकता है।

अधिगम का सम्बन्धवादी सिद्धान्त –

इसके अन्तर्गत मनोवैज्ञानिकों माना है कि पहले उद्दीपन प्रस्तुत होता है उसके बाद क्रिया होती है। इस सिद्धान्त के अनुसार क्रिया के दौरान उद्दीपक और अनुक्रिया के मध्य एक प्रकार का सम्बन्ध स्थापित होता है।

S —R

जहां S उद्दीपक एवं R अनुक्रिया है।

अधिगम का ज्ञानात्मक क्षेत्र सिद्धान्त

इस सिद्धन्त में अधिकम का सम्बन्धवादी सिद्धान्त की तरह उद्दीपक और अनुक्रिया के माध्य एक सम्बन्ध स्थापित होता है लेकिन यहां उद्दीपक और अनुक्रिया के साथ व्यक्ति की इच्छा को भी स्थान दिया गया है। इस सिद्धान्त अनुसार केवल उद्दीपन और अनुक्रिया ही नहीं साथ में व्यक्ति की अभिरुचि, क्षमता, पूर्व ज्ञान आदि का भी प्रभाव पड़ता है।

S—O—R

जहां S उद्दीपक एवं R अनुक्रिया है जहां O व्यक्ति की इच्छा है जिसे अधिगम के ज्ञानात्मक क्षेत्रवादी मानते है।

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