जैन धर्म के तीर्थंकर और उनके प्रतीक क्या है?
जैन धर्म की स्थापना ऋषभ देव ने की थी। ये जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर माने जाते है। लेकिन जैन धर्म के वास्तविक संस्थापक भगवान वर्धमान महावीर स्वामी को माना जाता है। ये जैन धर्म के 24 तीर्थंकर थे। जैन धर्म के त्रिरत्न सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक आचरण है। जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए। प्रत्येक तीर्थंकर का संबंध एक विशेष चिन्ह या प्रतीक से है।
जैन धर्म के तीर्थंकर और उनके प्रतीक
- ऋषभ देव – बैल
- संभवनाथ – घोड़ा
- सुमतिनाथ – चकवा
- सुपार्श्वनाथ – स्वस्तिक
- चन्द्रप्रभा – चन्द्रमा
- शीतलनाथ – कल्पवृक्ष
- वासुपूज्य – भैंसा
- अनंतनाथ – सेही
- शांतिनाथ – हिरण
- अरहनाथ – मछली
- मुनिस्रुव्रतनाथ – कछुआ
- नमिनाथ – नीलकमल
- पार्श्वनाथ – सर्प
- अजितनाथ – हाथी
- अभिनंदननाथ – बंदर
- पद्मप्रभा – कमल
- पुष्पदंत – मगर
- श्रेयांसनाथ – गैंडा
- विमलनाथ – शूकर
- वर्धनाथ – वज्रदंड
- कुंथुनाथ – बकरा
- मल्लिनाथ – कलश
- नेमिनाथ – शंख
- महावीर स्वामी – सिंह
✔ जैन धर्म के संस्थापक कौन थे?
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