प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवाद का अर्थ
प्रकृतिवाद क्या है? सभ्यता के विकास के साथ-साथ मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है और यही मनुष्य के दुखों का कारण भी बन रहा है प्रकृतिक बाद दो रूपों में देखा जा सकता है प्रकृति वादी दर्शन एवं प्रकृति वादी शिक्षा जो प्रकृतिवाद का विश्लेषण करता है मुरली के शब्दों में सभी से प्रेम करना मानव प्रकृति पर विश्वास करना न्याय की कामना संतोष करना जिससे दूसरों का उपकार हो यह कार्य प्रकृति बात का है थामस एवं लैंग के शब्दों में प्रकृतिवाद आदर्शवाद के प्रतिकूल पदार्थ के आधीन मस्तिष्क को मानता है और यह विश्वास करता है कि अंतिम यथार्थ भौतिक है आध्यात्मिक नहीं।
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प्रकृतिवाद क्या है? और प्रकृतिवादयों का मत
प्रकृतिवाद के अनुसार प्रकृति ही वास्तविक है जो अपने ही नियमों से संचालित होती है परिणाम तो वह उन्हीं से निर्धारित हुई है इसी धारणा इसकी धारणा है कि विकास क्रम में चेतना ईश्वर या रचनाकार को बीच में स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि प्रकृति स्वयं में एक प्राणी है
प्रकृतिवाद के रुप
1 भौतिक विज्ञानवादी प्रकृतिवाद –
यह भौतिक विज्ञान के आधार पर संपूर्ण सत्य को जानने का प्रयास करती है। इसके अंतर्गत मानव के अनुभव विचार आदि उसको उसी के आधार पर समझने का प्रयत्न करते है।
2 यन्त्रवादी प्रकृतिवाद –
संपूर्ण विश्व को एक यंत्र मानकर चलते है। विश्व में जो भी क्रिया होती है होती है उनकी प्रतिक्रिया होती है। मानव को मशीन मानकर वातावरण और सहज प्रकिया के माध्यम से उसे समझने का प्रयत्न करता है।
3- जीव विज्ञानवाद –
इसमे मानव की व्याख्या विकास के आधार पर होती है। संसार में हर प्राणी अपना अस्तित्व बनाए रखना चाहता है। प्रकृतिवादी के इस रूप से शिक्षा का प्रकृतिवाद दर्शन विकसित हुआ।
प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवाद की विशेषताएँ
- प्रकृतिवाद दर्शन का प्रमुख आधार सत्य है। प्रकृतिवाद के अनुसार अग्नि, जल, वायु, आकाश, मिट्टी से शरीर की रचना हुई है। शरीर के नष्ट हो जाने पर ये पदार्थ अपने मूल रुप को पुन प्राप्त कर लेते है।
- प्रकृतिवाद आत्मा जैसी वस्तु के अस्तित्व को स्वीकार नही करता।
- प्रकृति के अपने नियम है और पदार्थ का क्षेत्र उसी क्रिया के अधीन कार्य करता है।
- विज्ञान सभी पदार्थों के ज्ञान का स्रोत है।
- प्रकृतिवादी पदार्थ की सत्यता पर विश्वास करते है।
- प्रकृतिवाद के अनुसार प्रकृति अपने नियम अनुसार कार्य करती है।
- प्रकृतिवाद के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है और तत्वों के विसर्जन से यही समाप्त हो जाता है।
प्रकृतिवादियों के कथन
प्रकृतिवाद शिक्षा नकारात्मक है। यह प्रचलित शिक्षा व्यवस्था का विरोध करता है। प्रकृतिवादीयों के अनुसार शिक्षा प्रदान करने के किए किसी शिक्षक की आवश्यकता नही होती शिक्षक तो केवल वातावरण के निर्माण का कार्य करता है।
रास के अनुसार ” प्रकृतिवाद में शिक्षक का स्थान पर्दे के पीछे रहता है ”
रूसो ने कहा है ” बालक को खिड़की बन्द करने के लिए मत कहो जब उसे जुकाम होगा तो वह खुद ही बन्द कर देगा ”
रुसो का कथन – ” बच्चों को कभी दंड नहीं दिया जाना चाहिए। स्वतंत्रता, न कि शक्ति सबसे अच्छी चीज है ”
प्रकृतिवाद की शिक्षण विधि
- खेल द्वारा शिक्षा
- ह्यरिस्टिक विधि
- प्रोजेक्ट विधि
- मांन्टेसरी विधि
- प्रत्यक्ष प्रणाली
- निरीक्षण विधि