भूकम्प तरंगें किसे कहते है?

भूकम्प तरंगें किसे कहते है?

भूकम्प को आम-बोल चाल में भूचाल भी कहा जाता है। जो धरती की सतह के हिलने के कारण होता है। इसका कारण धरती की प्लेटों में असंतुलन के कारण होता है, कभी कभी हिमखंडों के खिसकने अथवा बड़ी-बड़ी पहाड़ियों के कारण भी भूकम्प आ जाता है।

भूकम्प तरंगें कितने प्रकार की होती है?

भूकम्प कम्पनों के आधार पर तीन प्रकार के होते है?

प्राथमिक अथवा  P तरंगें  ( Primary Waves)-

इस प्रकार की तरंगों की गति सबसे अधिक होती है। ये तरंग धरती के अन्दर प्रत्येक माध्यम से होकर गुजरती है। इसकी औसत वेग 8 किमी प्रति सेकेण्ड होती है। इस प्रकार की तरंगों द्वारा अपनाए गया मार्ग नतोदर होता है।

द्वितीय अथवा S तरंगे ( Secondary Waves)

इन तरंगों को अनुप्रस्थ तरंग भी कहा जाता है। क्योंकि ये सिर्फ ठोस माध्यम से होकर गुजरती है।  इन तरंगों का  औसत वेग 4 किलोमीटर प्रति सेकण्ड होता है।

सतही अथवा L तरंगें ( Love Waves) 

ये तरंग धरातलीय तरंग होती है क्योंकि ये सिर्फ धरातल तक सीमित रहती है। इन्हें धरातलीय अथवा लम्बी तरंगों के नाम से भी जाना जाता है। इन तरंगों की खोज एच डी लव ने की थी इस लिए इनको लव वेव अथवा एल तरंग भी कहा जाता है।  एल तरंग ठोस, द्रव, गैस तीनों माध्यम से गुजर सकती है। ये तरंग अधिक विनाशकारी होती है। इनका वेग 2 से 3 किलोमीटर प्रति सेकण्ड होता है।

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