संगम काल क्या है?

संगम काल क्या है?

संगम काल क्या है?– संगम काल का समय लगभग 300 ई पू से 300 ई तक का माना जाता है। इस काल का क्षेत्र दक्षिण भारत था। और इस काल की भाषा तमिल थी। संगम काल के तीन प्रमुख राजा पांड्य, चोल तथा चेर का उद्भव और विकास का काल संगम युग का माना जाता है। संगम युग के प्रतिनिधियों की सभाएं मनरम कहलाती थी। इस काल में आरिकामेडु व्यापार का मुख्य केन्द्र हुआ करता था। इस काल के तीन प्रमुख राजा पांड्य की राजधानी मदुरई थी, चोलो की राजधानी उरैयुर तथा चेर राज्य की राजधानी वंजी थी जिसे कुरूर के नाम से भी जाना जाता था। उस समय चेर देश गोल मिर्च जो उस समय काली मिर्च को कहा जाता था। तथा हल्दी के लिए जाना जाता था। इसी प्रकार चोल सूती वस्त्र के लिए और पांड्य देश मोतियों के लिए प्रसिद्ध थे।

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संगम कालीन कुछ प्रमुख रचनाएं।

  1. शिलाप्पादिकारम जिसके लेखक इलांगो थे और ये एक हिन्दू साहित्य था।
  2. मणिमेखलै  इस साहित्य के लेखक सतारी शत्तनार थे और ये एक बौद्ध साहित्य था।
  3. जीवक चिंतामणि के लेखक तिरूथक्काथेवर थे और ये एक जैन साहित्य था।

संगम कालीन साहित्य सभा।

संगम काल में  साहित्यकारों की सभा अथवा मंडली को संगम कहा जाता था। ये तीन संगम यानी साहित्यकारों की सभा हुई।

  1. प्रथम  मदुरई में हुई थी।
  2. दूसरी कपाटपुरम में हुई।
  3. तीसरी पुन मदुरई में हुई थी।

 

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