संवहनीय वर्षा किसे कहते है?
जब जल की बूंदें भारी हो जाती है और वायु में तैर नहीं सकती तब ये वर्षा के रूप में नीचे गिरने लगती है। वर्षा के भी तीन स्वरूप होते है। इनमें एक संवहनीय वर्षा होता है। वर्षा के अन्य रूप पर्वतीय वर्षा और चक्रवाती वर्षा होता है।
संवहनीय वर्षा किसे कहते है?
जब पृथ्वी का धरातल बहुत ही अधिक गर्म हो जाता है तब पवनें गर्म हो कर ऊपर की उठने लगती है और अधिक ऊंचाई पर पहुँच कर ये पवनें संतृप्त होने लगती है इस प्रकार की वर्षा विषुवतीय प्रदेश या डोल ड्रम शान्त पेटी में होती है। यहां दिन के 3 से 4 बजे के बीच वर्षा होती है।
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