समग्रवाद का सिद्धांत क्या है?
समग्रवाद का सिद्धांत- दोस्तों एक बालक के विकास, व्यवहार और एक बालक के संबंध में महत्वपूर्ण तथ्यों का अध्ययन हम बल मनोविज्ञानी से करते है जिसमें अनेक बाल मनोवैज्ञानिक ने कई शोधो के आधार पर मानव जाति के लिए क्रांतिकारी सिद्धांत की खोज की है। ऐसा ही एक सिद्धांत समग्रवाद का सिद्धांत है जिसकी चर्चा हम इस लेख में करेंगे सिर्फ चर्चा ही नहीं इस को सरल और आसान तथ्यों और भाषा शैली के माध्यम से समझने की कौशिक करेंगे।
समग्रवाद का सिद्धांत
समग्रवाद का सिद्धांत गेस्टालवादीयों द्वारा दिया गया एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। गेस्टालवादियों का मानना था कि कोई व्यक्ति किसी वस्तु या किसी अवधारणा पूर्ण रूप से सीखता है ना कि आंशिक रूप से। इस नियम को अंत दृष्टि का नियम , गेस्टाकलवाद का नियम, समग्रवाद का नियम, अथवा सूझबूझ के नियम के नाम से जाना से जाना जाना जाता है।
गेस्टालवादियों ने थार्नडाइक के प्रयास और त्रुटि करने के नियम का विरोध किया है। गेस्टालवादी प्रत्यक्षीकरण पर बल देते है जिसका अर्थ वातावरण के बारे में अपनी इंद्रियों द्वारा मिली जानकारी को संगठित करना तथा उस मिली जानकारी से ज्ञान और अपनी स्थिति के बारे में जागरूकता प्राप्त करना यानी इसे आसान भाषा में बताया जाए तो इसका अर्थ अपनी सूझ द्वारा ज्ञान का होना है।
प्रत्यक्षीकरण या समग्रवास का सिद्धांत –
प्रत्यक्षीकरण सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति पूर्ण रुप से किसी वस्तु का प्रत्यक्षीकरण कर पाता है ना कि भागों में इसका सीधा संबंध व्यक्ति की सूझ और समझ से होता है। सूझ पत्यक्षीकरण के आधार पर आधारित होता है।
गेस्टाल का अर्थ-
गेस्टाल का अर्थ प्रारूप, आकार या आकृति गेस्टाल वाद का सिद्धांत पूर्ण से अंश की और तथा स्थूल से सूक्ष्म की और होता है। यह नियम विवेकशील तथा चिंतनशिल बालको के अधिगम पर बल देता है।
गेस्टालवाद या सूझ व अंतर्दृष्टि पर आधारित नियम –
- समानता का नियम
- निकटता का नियम
- समापन का नियम
- निरंतरता का नियम
- समग्रता का नियम
ये भी देखें-
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